DBMS कॉलेज में डॉ सुनील नंदवानी ने कल्चर ऑफ वर्क और आध्यात्म का पढ़ाया पाठ.. कहा मानव जीवन में कार्य संस्कृति बदलने की जरूरत…

जमशेदपुर 7 सितंबर 2022 को डीबीएमएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन कदमा जमशेदपुर के सभागार में जिले के मर्सी हॉस्पिटल के जाने माने चिकित्सक डॉक्टर सुनील नंदवानी जी ( जिन्हें गीता और आत्म विकास तथा अध्यात्म के ऊपर गहरा ज्ञान है) उनका व्याख्यान आयोजित किया गया।

डॉक्टर सुनील नंदवानी ने कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों तथा सभी कर्मचारी को कल्चर ऑफ वर्क के ऊपर व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉक्टर नंदवानी ने कहा की जब तक हम अपने कार्य करने की प्रवृत्ति का विश्लषण नहीं कर पाएंगे और उसके करने के तरीके को सम्मान नहीं दे पाएंगे, जहां हम कार्य करते हैं वहां के वातावरण सुविधाओं को आकर्षक तथा अनुकूल बनाने वाले लोगों के प्रति अपना दृष्टिकोण नहीं बदलेंगे तब तक हम कुछ भी हासिल करके भी हासिल नहीं कर सकते हैं।

व्याख्यान में उपस्थित श्रोता

हमें अपने द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के कार्य के प्रति नजरिया को बदलना होगा। आज बहुत ही उत्साहजनक सत्र घटित हुआ जिसमें कॉलेज भर के सभी छात्र, शिक्षक, कर्मचारियों ने प्रश्नोत्तर के माध्यम से बहुत ही खुशनुमा माहौल में अपनी सहभागिता निभाई।

सत्र के आरंभ में डीबीएमएस कॉलेज के हिंदी के सहायक प्राध्यापक डॉ अरुण कुमार सज्जन ने डॉ सुनील नंदवानी का परिचय कराया। डॉ.सज्जन ने उन्हें एक चिकित्सक के साथ साथ विख्यात समाजसेवी और आध्यात्मिक चेतना का प्रखर वक्ता बताया। कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर जूही समर्पिता ने डॉक्टर सुनील नंदवानी के सत्र को बहुत ही ज्ञानवर्धक, प्रेणादाई बताया। डी बी एम एस कॉलेज ऑफ एजुकेशन में शिक्षक पर्व के अन्तर्गत “कार्य संस्कृति” पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया. डॉ सुनील नंदवानी ने इस विशेष सत्र में अपने उच्च विचारों से छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित किया। अपने वक्तव्य में डॉ नंदवानी ने बताया की हम नौकरी क्यों करते हैं, किसके लिए करते हैं, कैसे करते हैं, हमारी पहचान क्या है, अंततः हम चाहते क्या हैं – जैसे अनेक सवालों का उन्होंने बहुत रोचक तरीके से समझाया.

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बी एड और डी एल एड के छात्रों के मन मे अनेक सवाल थे जिन्हें उन्होंने इस सत्र में उत्तर दिया। कृष्ण अर्जुन संवाद का उदाहरण देते हुए बताया कि युद्ध केवल कुरुक्षेत्र में नहीं किया गया था बल्कि हर व्यक्ति कार्यक्षेत्र में युद्धरत है, राज्य पाना ही युद्घ का उद्देश्य नहीं था। हमारा राज्य हमारे हृदय, मन, मस्तिष्क हैं जिसको जीतना है।

महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि गांधी के कर्मों ने उन्हें महात्मा बनाया। नेल्सन मंडेला यदि बीस वर्ष जेल में रह कर अंग्रेजों को माफ़ कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं एक दूसरे को माफ़ कर पाते?

व्याख्यान देते मुख्य अतिथि

धन्यवाद ज्ञापन ईवा शिप्रा मुंडू ने दिया । इस अवसर पर प्राचार्या डॉ जुही समर्पित, डॉ मोनिका उप्पल, पामेला अर्चना, पूनम, सूरीना,कंचन, गायत्री, निशी, मौसमी, बीरेन्द्र पांडे, अभिजीत, एंटनी के अलावा सभी छात्र छात्राएँ मौजूद थे। सत्र में अभय कुमार, सरस्वती मुंडा, निधि कुमारी ,मिलन जोशी आदि अनेक छात्र- छात्राओं ने डॉक्टर सुनील नंदवानी के साथ अपने संभावित प्रश्नों को साझा किया जिसे डॉक्टर नंदवानी ने बहुत अच्छी तरह उनका समाधान भी किया। सत्र के समाप्ति पर डीबीबीएस कॉलेज की उप प्राचार्य डॉ मोनिका उप्पल ने एक प्रतीक चिन्ह देकर डॉक्टर सुनील को सम्मानित किया और उनके द्वारा दिए संबोधन के प्रति आभार व्यक्त किया।

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