शिक्षक की याचिका पर बड़ा फैसला : सजा पर सरकारी सेवक को बर्खास्त नहीं किया जा सकता, हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

प्रयागराज। केवल अपराध की सजा के आधार पर किसी सरकारी सेवक को बर्खास्त नहीं किया जा सकता। ऐसा करने के लिए विभागीय जांच कार्यवाही किया जाना जरूरी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के तमाम फैसलों के हवाले से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311(2)के तहत किसी सरकारी सेवक को बिना जांच कार्यवाही के बर्खास्त अथवा सेवा से नहीं हटाया जा सकता। रैंक भी नहीं घटाया जाएगा।

दरअसल कानपुर देहात के उच्च प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर के सहायक अध्यापक को दहेज हत्या में मिली उम्र कैद की सजा के बाद बीएसए द्वारा बर्खास्त करने का आदेश विभाग ने दिया था। इस मामले में शिक्षक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश को अवैध करार देते हुए रद कर दिया।

कोर्ट ने अनुच्छेद 311(2) के उपबंधों के अनुसार नये सिरे से दो माह में आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची की सेवा बहाली व सेवा परिलाभ नये आदेश पर निर्भर करेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने मनोज कुमार कटियार की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है। शिक्षक की नियुक्ति 1999 में प्राइमरी स्कूल सराय में सहायक अध्यापक पद पर की गई और 2017 में पदोन्नति दी गई। वर्ष 2009 में दहेज हत्या का केस दर्ज हुआ।

सत्र अदालत ने याची को भी दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कानपुर देहात ने याची को बर्खास्त कर दिया। इसे याचिका में चुनौती दी गई थी। याची की तरफ से अधिवक्ता धनंजय कुमार मिश्र ने कहा कि अनुच्छेद 311(2)के तहत बीएसए का बर्खास्तगी आदेश अवैध है। इसे रद किया जाए क्योंकि बिना जांच व नैसर्गिक न्याय का पालन किए यह आदेश दिया गया है।

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