वज्रपात विशेष: जानिए.. स्कूलों में किन नियम की वजह से नहीं लग पा रहा है तड़ित चालक…क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री…

रांची स्कूलों में हो रहे वज्रपात की घटना राज्य के आला अधिकारी और मंत्री की चिंता बढ़ा दी है। शिक्षा मंत्री की घोषणा होने के बावजूद की स्कूलों में तड़ित चालक नहीं लग पा रही है। जबकि हाल के दिनों में जैना मोड़, गढ़वा में स्कूलों में वज्रपात की घटना ने तड़ित चालक की जरूरतों का एहसास कराया है। मालूम हो कि जैना मोड़ में वज्रपात की घटना में 50 से ज्यादा बच्चे झुलस गए थे। वर्ष 2008-09 में रांची के नामकुम प्रखंड के रामपुर में एक विद्यालय में बिजली गिरने के कारण दो बच्चों की मौत हो गई थी।

दूसरी ओर राज्य के विद्यालयों में तड़ित चालक लगाने में शिक्षा विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है,इसकी वजह कुछ और नहीं, बल्कि राज्य सरकार का ही आदेश है। लोक निर्माण विभाग संहिता के नियम के मुताबिक तीन मंजिला से ऊपर के भवन में ही तड़ित चालक लगाया जा सकता है। जबकि राज्य में सरकारी तीन मंजिला स्कूल भवन नहीं के बराबर है। यही वजह है सरकारी आदेश के अनुरूप अनुपालन नहीं हो पा रहा है।

क्या था शिक्षा विभाग का प्रस्ताव

राज्य के सभी सरकारी विद्यालय में तड़ित चालक लगाने का प्रस्ताव स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने बनाया था परिचालक लगाने पर ₹2600 करोड़ खर्च होना था। आपदा प्रबंधन विभाग को इसकी जानकारी दी गई। इसको लेकर झारखंड हाई कोर्ट में पीआईएल दायर की गई थी।कोर्ट को प्रावधान की पूरी जानकारी दी गई थी। प्रावधान के अनुरूप ही तड़ित चालक लगाने का आदेश दिया गया था।

तीन मंजिला भवन तक में नहीं लगता है तड़ित चालक

स्कूलों में लोक निर्माण विभाग संहिता के अनुरूप तड़ित चालक लगाना है। नियम के अनुरूप राज्य में दो और दो से अधिक मंजिल वाले भवनों में तड़ित चालक नहीं लगाया जाएगा। इसका अपवाद तभी होगा जब अधीक्षण अभियंता लिखित रूप से कारणों का उल्लेख करते हुए राय देंगे की विशेष परिस्थिति में तड़ित चालक लगाना उचित है, ऐसे में हीं तीन मंजिल से ऊपर के भवन में तड़ित चालक लगाया जा सकता है। वर्ष 2015-16 में जब स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने स्कूलों में तड़ित चालक की आवश्यकता को लेकर सभी जिलों को पत्र भेजा था, तो उसमें संबंधित प्रावधान का उल्लेख किया गया था। उसके अनुरूप ही तड़ित चालक लगाने को कहा गया था।

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दो बच्चों की मौत के बाद लगा था तड़ित चालक

वर्ष 2008- 09 में नामकुम के रामपुर स्कूल में वज्रपात से दो बच्चों की मौत हो गई थी। इसके बाद विद्यालयों में तड़ित चालक लगाने की बात कही गई थी। उच्च विद्यालय व प्लस 2 स्कूलों में विद्यालय विकास अनुदान से तड़ित चालक लगाया भी गया था। स्कूलों में तड़ित चालक लगाने का मामला नियम की पेंच में उलझ कर रह गया।

डीईओ पर हुई थी कार्रवाई

स्कूलों में तड़ित चालक लगाने के मामले में लोहरदगा के डीईओ पर कार्रवाई भी हुई थी। विभागीय जांच के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था।इसके बाद तड़ित चालक लगाने का काम ठंडे बस्ते में चला गया।

महालेखाकार ने जताई थी आपत्ति

स्कूलों में प्रावधान की अनदेखी कर तड़ित चालक लगाने के मामले में महालेखाकार ने भी कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद विभाग ने सभी जिलों को पत्र भेजा था।

स्कूलों में तड़ित चालक नहीं है सुरक्षित

वर्ष 2008- 09 के बाद जिन स्कूलों में तड़ित चालक लगा था उनमें से अधिकतर स्कूल में इसकी चोरी हो गई। राज्य में वर्तमान में 90% से अधिक स्कूलों में तड़ित चालक नहीं है। या तो वो चोरी हो गए या फिर टूट फूट गए। राज्य में 35442 सरकारी विद्यालय है जहां तड़ित चालक के इंतजाम नहीं हैं।

वर्ष 2021 में वज्रपात से हुई मौत के आंकड़े (IMD के अनुसार)

गुमला 89

बोकारो 56

गढ़वा 50

चतरा 50

लोहरदगा 46

पलामू 85

लातेहार 45

रामगढ़ 41

गिरिडीह 40

देवघर 37

रांची 32

जामताड़ा 28

दुमका 27

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पूर्वी सिंहभूम 31

हजारीबाग 29

पश्चिम सिंहभूम 28

गोड्डा 26

धनबाद 19

सरायकेला 17

साहिबगंज 14

कोडरमा 13

क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो

स्कूल में तड़ित चालक लगाने पर विचार हो रहा है। इसके लिए पूर्व में तैयार प्रस्ताव का अवलोकन किया जा रहा है। नियम के अनुरूप तड़ित चालक किस भवन में लगाया जा सकता है, इस पर भी विचार किया जा रहा है। इस पर जल्द निर्णय लिया जाएगा।

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